1. आपकी अंतिम सेनवेट क्रेडिट/वेट इनपुट क्रेडिट की जी.एस.टी. क्रेडिट
2. आपके पास जो स्टॉक रहेगा उसमें जुड़े सेंट्रल एक्साइज/वेट टैक्स का क्या होगा ?
आइये आज की चर्चा में देखें कि जी.एस.टी. जिस भी दिन लागू होगा उस दिन आपके पास जो सेनवेट / वेट की क्रेडिट का अंतिम शेष होगा या आपके आपस जो स्टॉक होगा उस पर चुकाए हुए कर जो कि स्टॉक की कीमत शामिल होगा उसकी कोई क्रेडिट जी.एस.टी. के तहत मिलेगी।
आइये पहले यह समझने का प्रयास करें कि यह समस्या क्या है ताकि सरकार ने जो समाधान इसका दिया है वह आपको समझ आ सके और अभी से आप इस स्टॉक के बारे में कोई नीतिगत निर्णय लेना चाहे तो आपको पूरी मदद मिल सके . जो डीलर वेट और सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड है उन्हें तो यह क्रेडिट अपने अंतिम रिटर्न के आधार पर ही मिल जायेगी लेकिन शेष डीलर्स के लिए भी कुछ प्रावधान किये गए है ताकि उन्हें इस कर प्राणाली परिवर्तन के कारण कोई नुक्सान नहीं हो।
उदाहरण के लिए आप मान लीजिये कि आप एक मोटर पार्ट्स विक्रेता है और आपके पास कुल 10.00 लाख रूपये कीमत का स्टॉक है जिस पर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं वेट दोनों ही लगा है ।
अब आपका एक प्रतिस्पर्धी डीलर 1 जुलाई 2017 (जी.एस.टी. लगने की संभावित तारीख) को यही माल सीधा ही निर्माता से खरीदता है तो उस पर एस.जी.एस.टी. और सी.जी.एस.टी. दोनों लगे होंगे। उस डीलर को जब वह माल बेचेगा तो उसके द्वारा चुकाए हुए एस.जी.एस.टी. एवं सी.जी.एस.टी. की छूट अपना कर चुकाते समय मिल जायेगी और व्यवहारिक रूप से वह अपने ‘मार्जिन’ पर ही कर चुकाएगा. यही वेट और अब जी.एस.टी. की मूलभूत धारणा है और इस करारोपण का मूल सिद्धान्त है।
अब आपके पास जो स्टॉक है उसमे जो केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और/या वैट जुड़ा है उसकी छूट आपको नहीं मिले और आपको अब ग्राहक से प्राप्त किया गया एस.जी.एस.टी. एवं सी.जी.एस.टी. पूरा का पूरा ही चुकाना पड़े तो आपका माल 1 जुलाई 2017 को खरीदे गए माल के मुकाबले प्रतिस्पर्धा में नहीं टिक पायेगा या फिर आपको इस माल की बिक्री पर नुक्सान उठाना होगा. इसलिए यह जरुरी है कि आपके 30 जून 2017 के स्टॉक में जो कर (वेट और सेंट्रल एक्साइज ) शामिल है कि छुट की कोई व्यवस्था की जाए.
इसी तरह जो आपके पास सेनवेट /वेट की क्रेडिट का जो अंतिम शेष है जो कि आपने अपने अंतिम रिटर्न में माँगा है वह भी आपको जी.एस.टी. के दौरान किस तरह से समायोजित किया जाएगा यह भी हम देखने का प्रयास करेंगे.
अब आपको जब यह समस्या समझ आ गई है तो देखे हमारे कानून निर्माताओं ने इसके लिए क्या प्रावधान किये है ताकि आप स्वयम तय कर सकते है कि आपको अपने स्टॉक की क्या रखना है उस दिन जिस दिन से जी.एस.टी. भारत में लागू होने वाला है :-
इस सम्बन्ध में प्रावधान सी.जी.एस.टी. कानून के अध्याय 20 में धारा 140 में दिए गए है और इसी तरह से प्रावधान राज्यों के एस.जी.एस.टी. कानून में भी है और जिन राज्यों में अभी जी.एस.टी. कानून पास नहीं हुए है उनके कानून में भी होंगे। इसलिए हम यहाँ सेंट्रल एक्साइज और वेट दोनों को सी.जी.एस.टी. और एस.जी.एस.टी. के परिप्रेक्ष में अध्ययन के लिए ले रहे है।
राज्यों के एस.जी.एस.टी. कानून जो इस तरह की वेट की क्रेडिट देंगे एवं केंद्र के सी.जी.एस.टी. के कानून जो अपने यहाँ लगने वाले कर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क आदि कि क्रेडिट देंगे वे एक से ही है इसलिए हम दोनों अर्थात केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और वेट दोनों के बारे में एक साथ ही बता रहें है। यहाँ ध्यान रखें कि अभी आपकी वस्तु करयोग्य है और जी.एस.टी. में करमुक्त घोषित हो जाती है तो आपको इस तरह का कोई लाभ इनपुट क्रेडिट का नहीं मिलेगा।
ये विषय थोड़ा मुश्किल है अत: आप इसे इस समय केवल पढ़े और इसको समझने की कोशिश करें इसके साथ जुड़ी कुछ विसंगतियों एवं कानूनी अड़चनों के बारे में ज्यादा नहीं सोचे क्योंकि एक बार आपके इसका बेसिक समझ आ गया तो आगे का काम उतना मुश्किल नहीं है .
आइये सूचीबद्ध तरीके से आपकी अंतिम सेनवेट/वेट क्रेडिट और प्रारम्भिक स्टोक में जुड़ी इनपुट क्रेडिट आपको जी.एस.टी. के प्रारम्भ में किस तरह से समायोजन मिलेगा और इसकी गणना किस प्रकार से होगी:-
1. आप सेंट्रल एक्साइज/वेट में रजिस्टर्ड है और आपक सेनवेट / वेट का अंतिम इनपुट शेष है
यह हमारी पहली स्थिति है और ये सबसे आसान भी है
विवरण |
जी.एस.टी. के दौरान इनपुट क्रेडिट की रकम |
जो डीलर्स (जी.एस.टी. में कम्पोजीशन डीलर्स को छोडक़र) सेंट्रल एक्साइज/वेट में रजिस्टर्ड है उन्हें यह क्रेडिट अपने अंतिम भरे हुए रिटर्न के हिसाब से मिलेगी। |
जी.एस.टी. लगने के अंतिम दिन तक का उन्होंने जो सेंट्रल एक्साइज /राज्य के वेट का जो रिटर्न भरा है उसमे जो क्रेडिट आगे ले जाने हेतु उन्होंने रिटर्न में दिखाया है उसका क्रेडिट उन्हें जी.एस.टी. के दौरान इसकी क्रेडिट क्रमश: एस.जी.एस.टी. (वेट का इनपुट) सी.जी.एस.टी. (सेंट्रल एक्साइज का इनपुट ) |
यह क्रेडिट उनके ‘इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर’ में क्रेडिट कर दिया जाएगा जिसका उपयोग उनकी जी.एस.टी. के दौरान कर भुगतान से समायोजित करने में लिया जाएगा.
कोई शर्त है इस प्रकार के क्रेडिट को लेने के लिए :-
1. |
इस प्रकार के डीलर्स को अपने जी.एस.टी. लागू होने की तिथी से 6 माह पूर्व के सभी रिटर्न भरने होंगे और यदि उन्होंने यह रिटर्न नहीं भरे है तो उन्हें इस प्रारंभिक क्रेडिट जो उनके वेट और सेंट्रल एक्साइज के रिटर्न में अंतिम क्रेडिट के रूप में दिखाई गई है से वंचित रहना होगा। |
2. |
यदि यह इनपुट क्रेडिट जी,.एस.टी. कानून के तहत मिलने के योग्य नहीं है तब भी डीलर को इस क्रेडिट का लाभ नही दिया जाएगा. इसे आप यों समझिये कि कोई वस्तु जो केन्द्रीय उत्पाद शुल्क / वेट में करयोग्य है लेकिन जी.एस.टी. के दौरान उसे करमुक्त घोषित कर दिया तो स्वाभाविक है कि आपको इसकी क्रेडिट नहीं मिलेगी। |
इसी के साथ आपको कैपिटल गुड्स की क्रेडिट भी इसी तरह से मिल जायेगी जो कि आपके सेंट्रल एक्साइज/वेट के अंतिम रिटर्न में कैरी फॉरवर्ड नहीं की है बशर्ते की यह क्रेडिट अभी चल रहे कानून में सेनवेट क्रेडिट/ वेट इनपुट क्रेडिट की तरह और आने वाले जी.एस.टी. कानून में इनपुट क्रेडिट की तरह लेने के योग्य हो.
क्या आपकी बिक्री वेट घोषणा पत्रों के आधार पर है -
C-form/H-form/Export Declaration.
यदि आपकी बिक्री वेटी के दौरान कुछ घोषणा पत्रों पर आधारित है जिनके कारण आपने कम कर की दर लगाईं है जैसे - सी -फॉर्म पर बिक्री पर कर की दर 2% है (चाहे राज्य में उस वस्तु की कर की दर 14.5%) इसी तरह एच फॉर्म पर जो माल एक्सपोर्टर को बेचते है तो इस पर कर की दर शून्य है (चाहे राज्य में उस वस्तु की कर की दर 14.5%) तो आपका जो क्रेडिट अंतिम रिटर्न में आ रहा है उसमे से उतना हिस्सा रोक लिया जाएगा जिसके फॉर्म आपने पेश नहीं किये है और जब आप नियमानुसार ये फॉर्म और घोषणा पत्र पेश करेंगे तो राज्य में ही आपको इसका रिफंड दे दिया जाएगा.
ये प्रावधान आपको परेशान कर सकता है लेकिन जब कोई कर प्रणाली में इस तरह से परिवर्तन (ट्रांजीशन) का समय होता है तब कुछ परेशानिया तो होती ही है . इस सम्बन्ध में आपके लिए सलाह यह है कि आप अपने घोषणा पत्र (सी-फॉर्म , एच -फॉर्म इत्यादि) शीघ्र प्राप्त कर विभाग में पेश करें .
2. आप सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड नहीं है लेकिन आपके खरीद के बिल में सेंट्रल एक्साइज लगी हुई है
यह दूसरी स्थिति है और पहली स्थिति के मुकाबले अधिक महत्वपूर्ण है क्यों कि इसमें आने वाले डीलर्स की संख्या बहुत अधिक होगी।
शायद वेट के लिए आप इस स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते है क्यों कि वेट अभी भी अंतिम उपभोक्ता तक लगने वाला कर है और सेंट्रल एक्साइज इस समय निर्माण की स्थिति तक ही लगती है तो ऐसे में ऐसा हो सकता है कि कोई डीलर सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड नहीं है लेकिन उसके बिल में सेंट्रल एक्साइज लगी हुई है क्यों कि वह एक सेंट्रल एक्साइज निर्माता या डीलर से माल खरीदता है । वेट में भी जो डीलर कम्पोजीशन स्कीम में है और जी.एस.टी. में सामान्य डीलर की तरह प्रवेश करते है वे भी इसी श्रेणी में आ सकते है।
आइये देखें कि इस स्तिथी में किस तरह से यह क्रेडिट सी.जी.एस.टी. के तहत मिलेगी-
स्टॉक का विवरण |
इनपुट क्रेडिट की रकम |
जो डीलर्स (जी.एस.टी. के कम्पोजीशन डीलर्स को छोडक़र ) सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड नहीं है उन्हें अपने अंतिम स्टॉक (जो कच्चा माल हो अथवा तैयार या अर्धनिर्मित माल) में जो चुका हुआ सेंट्रल एक्साइज है और इसे साबित करने के लिए उनके पास बिल है जिसमे यह कर (सेंट्रल एक्साइज) अलग से लगाया हुआ दिख रहा है । |
उन्हें बिल में दिखाए हुए सेंट्रल एक्साइज की इनपुट क्रेडिट मिल जायेगी और यह क्रेडिट उनके ‘इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर’ में जमा कर दी जायेगी जिसका उपयोग उनका जी.एस.टी. के दौरान कर भुगतान में समायोजन के लिए काम लिया जाएगा। |
इसी तरह जहाँ यह प्रावधान वेट में लागू होता वहां इसका इसी तरह प्रयोग कर सकते हैं.
यह क्रेडिट तभी मिलेगी जब कि इस इनपुट या माल का प्रयोग जी.एस.टी. के तहत करयोग्य माल की सप्लाई के लिए किया जाए और इस तरह की इनपुट क्रेडिट जी.एस.टी. कानून में भी स्वीकार्य हो. यदि यह माल जी.एस.टी. के दौरान करमुक्त घोषित कर दिया गया है तो यह क्रेडिट नहीं मिलेगी.
इसके अतिरिक्त जैसा पहले भी बताया है कि इस तरह के व्यक्ति के पास ये कर भुगतान होने के प्रमाण स्वरूप बिल अथवा कोई ओर प्रपत्र हो अर्थात कर किसी डीलर को चुकाई गई है इसका दस्तावेजी सबूत बिल (जिसमे कर लगा हुआ होना चाहिए) अथवा इसी तरह का कोई और दस्तावेज हो यह कोई और दस्तावेज बिल के अतिरिक्त चालान भी हो सकता है .
लेकिन ये ध्यान रखें कि यदि ये बिल जी.एस.टी. लगने की तारीख से 12 माह से पुराने हो तो आपको यह क्रेडिट नहीं मिलेगी इस तरह यदि जी.एस.टी. 1 जुलाई 2017 को लगता है तो जो स्टॉक आपके पास 30 जून 2016 या उससे पूर्व खरीदा हो तो इसकी क्रेडिट आपको नहीं मिलेगी. इसे आप विशेष ध्यान रखें।
इसे आप यों कह सकते है कि प्रार्थी सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड तो नहीं था लेकिन उसके बिल में सेंट्रल एक्साइज लगी हुई है और ये बिल 12 माह से पुराने नहीं है तो आपको ऊपर लिखी शर्तों पर सेनवेट क्रेडिट आगे ले जाने दी जायेगी भले ही आप सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड नहीं हैं।
यहाँ भी आपने देखा कि गणना की एक निश्चित प्रणाली है लेकिन आगे हम एक तीसरी स्तिथी देखेंगे जो इससे थोड़ी और मुश्किल है और उसमे शामिल डीलर्स की संख्या भी अधिक होगी।
3. बिल में सेंट्रल एक्साइज नहीं लगा हुआ है
आप सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड भी नहीं है और आपके पास जो बिल है उनमे भी सेंट्रल एक्साइज नहीं लगी है तो इसका अर्थ यह है कि आपने जो माल खरीदा है वह उस डीलर से नहीं खरीदा है जो सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड है या जो सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड डीलर है और ऐसे केस में आपके बिल में किसी भी प्रकार की सेंट्रल एक्साइज लगे होने का कोई प्रश्न ही नहीं है .
इस पर भी आपको क्रेडिट मिलेगी लेकिन कितनी मिलेगी यह सरकार इस सम्बन्ध में जारी नियमों में तय करेगी। जिन ट्रेडर्स के पास एक्साइज पेड माल है उन्हें नुक्सान से बचाने के लिए इस प्रकार का प्रावधान बनाया गया है
आइये अब देखें कि जी.एस.टी. के जो रूल्स के प्रारूप जारी किये गए है उनके अनुसार इस के डीलर्स को एस.जी.एस.टी और सी.जी.एस.टी. में क्रेडिट कितनी और किस प्रकार से मिलेगी-
केंद्र का जो सी.जी.एस.टी. वो उस वस्तु की सप्लाई पर भुगतान करेंगे उन्हें इस भुगतान के बाद, इस रकम के 40% के क्रेडिट दे दी जाएगी.
राज्य का जो एस.जी.एस.टी. वो उस वस्तु की सप्लाई पर भुगतान करेंगे उन्हें इस भुगतान के बाद, इस रकम के 40% के क्रेडिट दे दी जाएगी. - जहां राज्य के जी.एस.टी. में ऐसा प्रावधान लागू होने की संभावना हो.
इस प्रकार जी.एस.टी. में जो भी कर का भुगतान इन वस्तुओं की सप्लाई पर किया जाएगा उसका 40% की क्रेडिट उन्हें प्रारम्भिक स्टॉक में शामिल ड्यूटी के रूप में मिल जाएगा जिसे उनके इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर में जमा कर दिया जाएगा।
यहाँ ध्यान रखें कि यह क्रेडिट मुख्यतया सी.जी.एस.टी. में ही मिलेगी क्योंकि ऐसे डीलर्स वेट में तो रजिस्टर्ड होंगे ही तो उन्हें उनके टैक्स की पूरी क्रेडिट अपने अंतिम रिटर्न के हिसाब से मिल जायेगी।
वेट में भी ऐसे डीलर्स हो सकते है जो कि वेट के दौरान कम्पोजीशन में थे और अब जी.एस.टी. के दौरान सामन्य कर करदाता की तरह कर का भुगतान करना चाहते है।
यह सारी क्रेडिट उन्हें इस माल को जी.एस.टी. लगने के 6 माह में बेच कर ही प्राप्त करनी होगी, इसके बाद यह क्रेडिट नहीं मिलेगी।
इसके अतिरिक्त एक और बात ध्यान रखें कि इस तरह से मिली हुई इनपुट क्रेडिट का लाभ ऐसे डीलर्स को अपने ग्राहकों को देना होगा।
आज हमनें मुख्य रूप से वेट और केन्द्रीय बिक्री कर के दौरान जो आपके पास अंतिम इनपुट क्रेडिट रह जायेगी एवं यदि आप केन्द्रीय उत्पाद शुल्क/वेट में कर में रजिस्टर्ड नहीं है तो आपके अंतिम स्टॉक में जो सेंट्रल एक्साइज /वेट शामिल है उसकी क्रेडिट आपको कैसे जी.एस.टी. के दौरान मिलेगी उसका अध्ययन किया है। यह विषय थोड़ा मुश्किल है और इसपर ज्यादा समीक्षा अभी नहीं की गई है इसके कुछ अन्य भाग भी है जो कुछ असामान्य परिस्तिथियों में लागू होंगे उनका अध्ययन हम बाद में करेंगे.
यहाँ ध्यान रखें कि आपको इन सभी क्रेडिट को प्राप्त करने के लिए Transitional Provisions Rules (अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है ) के अनुसार जी.एस.टी. कॉमन पोर्टल पर निर्धारित फॉर्म एवं सूचनाओं के साथ अप्लाई करना होगा.
नोट - इसे पढ़े और उन लोंगों को अग्रेषित (Forward) करें जिन्हें इसकी आवश्यकता हो सकती है। इसमें लेख को लिखते समय पूरी सावधानी बरती गई है लेकिन फिर भी ‘त्रुटि एवं गुणात्मक सुधार’ के लिए आपके व्हाट्स आप का इन्तजार रहेगा.
-सी.ए.सुधीर हालाखंडी -
E-mail ID Sudhirhalakhandi@gmail.com
Visit our GST face book page:-
https://www.facebook.com/Goods-and-Service-Tax-Ca-Sudhir-Halakhandi-855899974452868/
visit this article:- www.halakhandi.com
व्हाट्स एप्प के लिए प्रयोग करें
98280-67256