एजुकेशनल/मेडिकल संस्थानों की दुविधा - इनकम टैक्स में पुनः पंजीकरण धारा 10 (23 सी) में करवाएं या 12AB में
जैसा की सबको विदित है सभी चेरिटेबल संस्थाओं को जो आयकर अधिनियम के तहत विभिन्न धाराओं में आयकर से एग्जेम्प्ट हैं तदनुसार सेक्शन 12A/12AA (अब 12AB), 10(23C), 35 इत्यादि के तहत रजिस्टर्ड हैं, उन्हें अपनी एग्जेम्प्शन जारी रखने के लिए 31 अगस्त 2021 से पूर्व ही फॉर्म 10A में दुबारा रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना जरूरी है ।
पुनः पंजीकरण के लिए आवेदन की डेट कई बार बढाई जा चुकी है, और नए पोर्टल में अभी भी फॉर्म 10A फ़ाइल करने में दिक्कत आ रही है, अतः सम्भावना है की जनहित में इसे एक बार और बढ़ा दिया जाये।
दुबारा रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तो अधिक जटिल नहीं है, पर उन एजुकेशनल/मेडिकल संस्थानो के लिए यह एक बड़ी दुविधा का विषय है जिन्होंने अभी तक सेक्शन 10(23C) –और सेक्शन 12A/12AA दोनों के ही तहत रजिस्ट्रेशन करवा रखा है; पर अब उन्हें इनमे से कोई एक विकल्प चुनना होगा क्योंकि सरकार ने वित्त अधिनियम 2020 के माध्यम से धारा 11(7) में एक नया प्रोविजो जोड़ा है, जिसके अनुसार 1 जून 2020 से ऐसे संस्थानों को दोनों एग्जेम्प्शन मे से किसी एक सेक्शन के तहत ही एग्जेम्प्शन मिल सकेगी । तदनुसार ऐसे संस्थानों का 12A/सेक्शन 12AA का रजिस्ट्रेशन 1 जून 2020 से अप्रभावी हो जाएगा, हालांकि सेक्शन 10(23C) के तहत अप्रूवल प्रभावी बनी रहेगी. भविष्य में भी जो संस्था जो पहले से ही 12A/12AA में रजिस्टर्ड है व सेक्शन 10(23C) के तहत भी अप्रूवल के लिए आवेदन करती है तो उसका 12A/12AA का रजिस्ट्रेशन उस दिन से अप्रभावी हो जायेगा जिस दिन उसे 10(23C) के तहत अप्रूवल मिल जाएगी.
दोनों विकल्पों में कौनसा बेहतर है, इसके लिए दोनों विकल्पों के विभिन्न/मुख्य प्रावधानों का विश्लेषण करना आवश्यक है :
क्रम संख्या |
आधारभूत अंतर |
सेक्शन 12A |
सेक्शन 10(23C) |
1 |
संस्था के उद्धेश्य |
संस्था के उद्देश्यों में सेक्शन 2(15) में परिभाषित सभी तरह की चेरिटेबल एक्टिविटी शामिल की जा सकती हैं |
संस्था के उद्देश्य में केवल “एजुकेशनल” या/और “मेडिकल” के अतिरिक्त कोई अन्य चेरिटेबल या कोई भी अन्य उद्देश्य शामिल नहीं हो सकता है |
2 |
आय का डीम्ड उपयोग – फॉर्म 9A |
सेक्शन 11 में एग्जेम्प्शन पाने के लिए संस्था को वित्तीय वर्ष में अर्जित अपनी आय का 85% संस्था के उद्देश्यों हेतु उपयोग करना जरूरी है, पर यदि किसी वर्ष यह उपयोग 85% से कम हो तो भी संस्था इस कम उपयोग की गई राशी को अगले वर्ष में उपयोग करने के लिए फॉर्म 9A में आवेदन कर सकती है, ऐसी स्थिति में कम उपयोग की गई राशी को भी उपयोग किया जाना मान लिया जाता है |
ऐसा कोई प्रावधान 10(23C) में नहीं है |
3 |
आय का कुछ हिस्सा भविष्य में इस्तेमाल करने के लिए एक्म्युलेट करने की छूट –फॉर्म 10 |
12A/12AA में पंजीकृत संस्थाएं ऐसा कर सकती हैं, इसके लिए फॉर्म 10 में आवेदन करना पड़ता है |
ऐसा कोई प्रावधान 10(23C) में नहीं है |
4 |
स्पेसिफाइड व्यक्तियों को लाभकारी भुगतान आदि पर प्रतिबंध |
सेक्शन 13 के प्रावधानों यथा स्पेसिफाइड व्यक्तियों को लाभकारी भुगतान करने पर सेक्शन 11 व 12 की एग्जेम्पसन वापस ली जा सकती है |
इस वजह से एग्जेम्पसन वापस लेने जैसा कोई प्रावधान 10(23C) में नहीं है |
5 |
CSR के फंड्स प्राप्त करने के लिए आवेदन |
12A/12AA व 80G दोनों में जो संस्थाएं पंजीकृत हैं वो CSR फंड्स के लिए आवेदन कर सकती हैं |
CSR के लिए संस्था का 12A/12AA/12AB व 80G दोनों में पंजीकृत होना जरूरी है, 1 जून 2020 से 10(23C) में अप्रूव्ड संस्था का 12A/12AA/12AB में पंजीकरण प्रभावी नहीं रहेगा |
6 |
सेक्शन 115TD |
12A/12AA का रजिस्ट्रेशन कैंसिल या रिजेक्ट होने पर संस्था को ऐक्रियेटेड इनकम यानि अपनी परिसम्पतियो के बुक वैल्यू और बाजार मूल्य की अंतर राशी पर इनकम टैक्स देना होगा |
यह प्रोविजन केवल 10(23C) में अप्रूव्ड संस्था पर लागू नही होता |
7 |
यदि दोनों प्रोविजन्स में रजिस्ट्रेशन हो से कौनसा लागू रहेगा |
1 जून 2020 से, जो संस्था 12A/12AA में रजिस्टर्ड है, तो जिस दिन से उसे 10(23C) में अप्रूवल मिलेगी उसी दिन से उसका 12A/12AA का रजिस्ट्रेशन अप्रभावी हो जाएगा |
10(23C) की अप्रूवल जारी रहेगी |
8 |
कार्यक्षेत्र |
12A/12AA में रजिस्टर्ड संस्था का कार्यक्षेत्र भारत देश तक ही सीमित होता है |
10(23C) इस बारे में साइलेंट है |
9 |
कैपिटल गेन |
कैपिटल गेन को यदि पुनः अन्य नई कैपिटल एसेट में निवेश कर दिया है, तो इसे सेक्शन 11(1A) के तहत संस्था के उद्देश्य की पूर्ति हेतु य़ूटीलाईज्ञ माना जाता है, अतः कैपिटल गेन टैक्स से एग्जेप्शन मिल जाती है. |
यह एग्जेम्प्शन 10(23C) में रजिस्टर्ड संस्था को नहीं मिलती |
इसके अलावा और भी मुद्दे हो सकते हैं, पर साथ ही यह भी गौर करने वाली बात है की जिन संस्थाओं का 12A/12AA व 10(23C) दोनों में रजिस्ट्रेशन 1 जून 2020 को प्रभावी था, उनका 12A/12AA का रजिस्ट्रेशन 1 जून 2020 से स्वतः अप्रभावी हो गया है, हालांकि वो पुनः 12A/12AA (अब 12AB) में अपना रजिस्ट्रेशन रिन्यू करवा सकते हैं पर उस स्थिति में डिपार्टमेंट को उनका आवेदन डिस्पोज करने के लिए छह महीने का समय तथा पूरी इन्क्वायरी करने का अधिकार भी मिलता है जबकि 10(23C) के रिन्युअल के लिए आवेदन में डिस्पोजल की समय सीमा 3 माह है तथा डिटेल्ड इन्क्वायरी का भी प्रावधान नहीं है.
अब तक ऐसी संस्थायें दोनों प्रावधानों में से जो अधिक अनुकूल होता था तदनुसार अपना विकल्प चुनती थी, एक प्रोविजन से दूसरे प्रोविजन में स्विच करने पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं थी पर अब ऐसा नहीं हो पायेगा, अब स्विच ओवर करने का कोई विकल्प नहीं होगा अतः एक बार में ही लम्बी अवधि को ध्यान में रखते हुए सही विकल्प का चुनाव करना बहुत जरूरी है. |