प्रश्न-1 |
गुड्स एवं सर्विस टैक्स की वसूली एवं कलैक्शन कौनसी सरकार करेगी ? |
उत्तर |
केन्द्रीय सरकार केन्द्रीय गुड्स एवं सर्विस टैक्स (CGST) की वसूली एवं कलैक्शन करेगी। प्रशासकीय नियंत्रण भी केन्द्रीय सरकार का ही होगा। जबकि गुड्स एवं सर्विस टैक्स के दूसरे संघटक (Component) राज्य गुड्स एवं सर्विस टैक्स (Component) का वसूली एवं कलैक्शन एवं नियंन्त्रण संबंधित राज्य सरकार करेगी।
अंतरराज्जीय संव्यवहारों (आपूर्ति) पर लागू होने वाले एकीकृत गुड्स एवं सर्विस टैक्स (SGST) का उद्ग्रहण एवं संग्रहण केन्द्रीय सरकार करेगी और प्रशासकीय नियंन्त्रण भी केन्द्रीय सरकार का ही होगा। |
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प्रश्न-2 |
गुड्स एवं सर्विस टैक्स की दरे कौन निर्धारित करेगा ? |
उत्तर |
संविधान (एक सो एक संशोधन) अधिनियम, 2016 के द्वारा जोड़ा गया अनुच्छेद 279क(1) के उपबन्धों के अनुसार दिनांक 12.09.2016 को भारत के राष्ट्रपति महोदय द्वारा गठित गुड्स एवं सर्विस टैक्स परिषद (GST Council) की अनुशंषा पर, केन्द्र और राज्यों द्वारा निर्धारित दर से गुड्स एवं सर्विस टैक्स अधिनियम के अधीन केन्द्र गुड्स एवं सर्विस टैक्स और राज्य गुड्स एवं सर्विस टैक्स (CGST/SGST) की वसूली (Levy) की जायेगी।
हाल ही दिनांक 3 नवम्बर 2016 को GST-Council द्वारा चार स्तरीय 5 %, 12 %, 18 % और 28 % गुड्स एवं सर्विस टैक्स दरें निर्धारित की है। |
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प्रश्न-3 |
प्रस्तावित गुड्स एवं सर्विस टैक्स व्यवस्था में कर चुकाने का दायी (Liable to Pay Tax) कौन होगा ? |
उत्तर |
गुड्स एवं सर्विस टैक्स व्यवस्था में कर योग्य (Taxable Person) माल और / या सेवाओं की आपूर्ति पर कर देने का दायी है। ऐसे व्यक्ति का कर दायित्व उसके द्वारा टर्नओवर की अधिकतम सीमा (Threshold Limit) पार करने के बाद बनता है। " कर योग्य" (Taxable Person) को जी.एस.टी. मॉडल लॉ की धारा 2(96) में निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है - 2(96) कर योग्य व्यक्ति का अर्थ होगा, जो उसे इस अधिनियम की धारा 9 में समनुदेशित (Assigned) है।
कृपया विस्तृत जानकारी के लिए धारा 9 देखें। |
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प्रश्न-4 |
गुड्स एवं सर्विस टैक्स परिषद द्वारा निर्धारित की गई दरों के बारे में विस्तार से बताईयें ? |
उत्तर |
गुड्स एवं सर्विस टैक्स परिषद ने दिनांक 3 नवम्बर 2016 को चार स्तरीय कर संरचना तय की है। ये दरे 5 %, 12 %, 18 % तथा 28 % है। आम उपयोग की वस्तुओं (आवश्यक वस्तुओं) पर 5 % कर की दर तथा विलासिता के उत्पादों और अहितकर वस्तुओं (Demerit goods) जैसे तम्बाकू पर गुड्स एवं सर्विस टैक्स की 28 % दर निर्धारित की गई है। जिन वस्तुओं पर 28 % कर की दर निर्धारित की गई है, उन पर 28 % गुड्स एवं सर्विस टैक्स के अलावा उपकर (Cess) भी लगेगा। महंगाई को ध्यान में रखते हुए खाद्यान्न सहित आवश्यक उपभोग की कई वस्तुओं को कर मुक्त रखा जायेगा। 12 % और 18 % की दरें मानक दरे (Standard Rates) होगी।
सबसे ऊंची 18 % की दर उन वस्तुओं पर होगी जिन पर वर्तमान में उत्पाद शुल्क और वैट सहित कुल 30% से 31 % की दर से कर लगता है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में सम्मिलित वस्तुओं में से करीब 50 प्रतिशत वस्तुओं पर कोई कर नहीं लगेगा। इन्हें शून्य कर की श्रेणी में रखा गया है। |
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प्रश्न-5 |
क्या माल और सेवाओं की आपूर्ति करने वाली कम्पनियों को गुड्स एवं सर्विस टैक्स के अधीन प्रत्येक राज्य में पंजीयन करवाने का प्रावधान है? |
उत्तर |
हाँ। |
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प्रश्न-6 |
कर की गुड्स एवं सर्विस टैक्स व्यवस्था (GST-Regime) के अधीन "माल" और "सेवाओं " का वर्गीकरण किस प्रकार किया जायेगा ? |
उत्तर |
गुड्स एवं सर्विस टैक्स व्यवस्था के अन्तर्गत माल के वर्गीकरण हेतु नामावली का सुमेलित पद्धति संकेत (Harmonised System of Nomenclature-HSN Code) एच.एस.एन. कोड का उपयोग किया जायेगा तथा सेवा लेखा संकेत (Service Accounting Code) SAC एस. ए. कोड के अनुसार सेवाएं (Services) वर्गीकृत की जायेगी।
जिन करदाताओं का टर्नओवर 1.5 करोड़ रूपये से अधिक तथा 5 करोड़ रूपये से कम होगा वे 2 अंक का संकेत (2 digit code) प्रयोग करेंगे और 5 करोड़ रूपये या इससे अधिक टर्नओवर वाले करदाता 4 अंक का संकेत (4 digit code) प्रयोग करेंगे। जिन करदाताओं का टर्नओवर 1.5 करोड़ रूपये से कम होगा उनसे अपने इनवाइस में HSN Codeका उल्लेख करना अपेक्षित नहीं है। |
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प्रश्न-7 |
भारत के बाहर से आयात पर (Import) गुड्स एवं सर्विस टैक्स किस प्रकार वसूल किया जायेगा ? |
उत्तर |
भारत के बाहर से आयात को अंतरराज्जीय आपूर्ति माना जायेगा और जिस पर सेन्ट्रल गुड्स एवं सर्विस टैक्स (IGST) उद्ग्रहीत होगा।
कर के भार (Incidence of Tax) के संबंध में गन्तव्य-सिद्धान्त अपनाया जायेगा और राज्य गुड्स एवं सर्विस टैक्स (SGST) के मामले में कर राजस्व उस राज्य को देय (Accrue) होगा जहाँ आयातित-माल और सेवाओं का उपभोग होगा।
आयात किये गये माल और सेवाओं पर चुकाये गए माल और सेवाओं पर चुकाये गए गुड्स एवं सर्विस टैक्स (GST Paid) का पूरा-पूरा (Full & Complete) मुजरा (Set-off) मिलेगा। |
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प्रश्न-8 |
क्या बिना प्रतिफल के की गई माल और सेवा की आपूर्ति भी गुड्स एवं सर्विस टैक्स के अधीन आपूर्ति होती है? समझाईये। |
उत्तर |
हाँ। लेकिन मॉडल जीएसटी लॉ में संलग्न (Appended) अनुसूची I (Schedule I) में वर्णित मामलों को ही प्रतिफल के बिना प्रदाय (गुड्स एवं सर्विस टैक्स के उद्देश्य से) माना गया है, जो निम्न प्रकार है:-
1.व्यवसाय की सम्पत्तियों का स्थायी अन्तरण/निस्तारण (Permanent transfer/ Disposal of business assets).
2.निजी अथवा और गैर-व्यावसायिक प्रयोग के लिए व्यवसाय की सम्पत्तियों का अस्थायी उपयोग (Temporary application of business assets to a private or non-business use).
3.निजी अथवा गैर-व्यावसायिक प्रयोग के लिए लगायी गयी सेवायें। (Service put to private or non-business use).
4.पंजीयन को वापस लेने के पश्चात् रोकी गई सम्पतियां (Assets retained after deregistrion).
5.व्यवसाय के अनुक्रम में या उसे अग्रसर करने में कर योग्य व्यक्ति द्वारा किसी अन्य कर योग्य या गैर कर योग्य व्यक्ति को वस्तुओं तथा/अथवा सेवाओं का प्रदाय (Supply of goods and / or service by a taxable person to another taxable or non taxable person in the course or furtherance of business).
यहां यह उल्लेखनीय है कि मॉडल जीएसटी लॉ की धारा 43 क के प्रावधानों के अनुसार, पंजीकृत कर योग्य व्यक्ति द्वारा जॉब-वर्कर (Job-Worker)) को वस्तुओं का प्रदाय (Supply of goods), वस्तुओं के प्रदाय के रूप में नही माना जायेगा (Shall not be treated as supply of goods). |
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